A Few Words

About

Open Book Exam

आत्मा को परमात्मा बनाने की ताकत स्वाध्याय में है।
अज्ञान को ज्ञान में परिवर्तित करने की ताकत स्वाध्याय में है।
कर्मो की निर्जरा कर कर्मो से मुक्त कराने की ताकत स्वाध्याय में है।

                स्वाध्याय की ताकत को पहचान कर परमपूज्य गुरुदेव आचार्य श्री रत्नसेन सुरीश्वरजी महाराज साहब ने वैविध्यपुर्ण साहित्य का सृजन किया। केवल शुष्क क्रिया में जखडे हुए साधकों को धर्म के इस ज्ञानरुपी आयाम में जोड़ने के लिए प्रेरित हो ऐसी “खुली किताब प्रतियोगिता” का आयोजन किया।

पिछले 5 वर्षोसे यह प्रतियोगिता का आयोजन प्रतीवर्ष किया जाता है। आचार्य श्री रत्नसेन सुरीश्वरजी आलेखित किताबों पर सोनाली पारसजी बोरा द्वारा प्रश्नोका संकलन किया जाता है। इस प्रश्नपत्र को किताब के आधार पर उत्तर लिखकर पुनः उनके पास भेजा जाता है और निर्धारित समय पर सोनालीजी द्वारा परिणाम घोषित किया जाता है।

खुली किताब प्रतियोगिता में जो भी साधक भाग लेते है वे उस किताब का, प्रश्न के उत्तर खोजने के लिए बारबार स्वाध्याय करते है। यह प्रतियोगिता स्वाध्याय का निमित्तरुप है। जिसके द्वारा साधक कर्मो की निर्जरा करता है। किन्तु जो साधक प्रतियोगिता में अधिक गुण पानेकी लालच में ज्ञान की चोरी (कॉपी) करता है वह कर्म बंध कर लेता है।

इस प्रतियोगिता में आज तक बड़े बूढ़े, बच्चे, स्त्री, पुरूष ऐसे सबने भाग लिया है। उनकी ज्ञान के प्रति बढ़ी हुई रुचि की सराहना करते है।

आगामी खुली किताब प्रतियोगिता से संबंधित सभी जानकारी https://divyasandesh.online इस वेबसाइट पर दी जाएगी। तथा परिणाम की घोषणा भी https://divyasandesh.online पर दी जाएगी।

धन-जन, कंचन, राजसुख सबही सुलभ कर जान,
दुर्लभ है संसार में एक यथारथ ज्ञान।।
आओ, इस दुर्लभ ज्ञान को प्राप्त करने के लिए स्वाध्याय का आराधन करे।

 

परमपूज्य आचार्य श्री रत्नसेनसुरीश्वरजी महाराज साहब का आत्मचरित्र – Click Here